समाज को एकता के सूत्र में पुराने के लिये एक सशक्त नियम कार्यप्रणाली की आवश्यकता है। _जिस तरह खेत मे *बीज लगाते* ही बरसात हो जाये तो वह *जीवनदाई पानी भकच्छ बन* बीज को पौधा बनने से पहले ही उसे बहा ले जाता है।_ ठीक उसी तरह यह तत्कल चुनाव के कुछ दुष्परिणाम हो सकते हैं। _यह ना हो उसके लिये गलतीं कर सिखने से अच्छा है । जो हमारे सामने हमारे देश का उदाहरण है उससे सिख लेकर उसे अपने समाज का संविधान बनाने में इस्तेमाल करे।_ _ऐसे तो हम सभी ने अपने देश का इतिहास पढ़ा है और मुझे नही लगता कि वह किसी को बताने की आवश्यकता नही है_। केंद्रीय समिति को लेकर कुछ महत्वपूर्ण जानकारी== पढ़ने के लिए ये लिंक ओपन करे ======================== *देश की इतिहास पर आते है और उस घटना क्रम को अपने समाज से जोड़कर समझने का प्रयास करते है।* ⚜ 1) हमारा देश: _*स्वतंत्रता दिवस 15 aug1947* के पहले देश के करोड़ों लोगो आजादी की जंग के हिस्सा लिये कहि दलों ने इसमे हिस्सा लिया , कुछ पार्टी से जुड़े हुवे कुछ नही जुड़े हुवे थे। कोई नरम दल में...
शिक्षा, विकास, समर्पण