सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

बांस मिशन व बांस आयोग

बाँस आयोग की स्थापना क्यो जरूरी है।

समय की माँग को देखते हुवे आज बाँस कि खेती और इसके उद्योग को बड़े पैमानें पर करने की आवश्यकता क्यो है ? राष्ट्रीय बाँस मिशन क्या है ?  बाँस आयोग क्या है ? यह निम्नलिखित बिंदुओ से समझने का प्रयास करेंगे।


🔑 उत्तर प्रदेश आज भी बाँस पर जीविकोपार्जन करने वाली तमाम जातियों की स्तिथि दयनीय है।

🔑 सरकार की तमाम कमेटियों ने 1950 से लेकर अब तक कि भीकू इडाते कमिटी ने यह माना है कि सभी बाँस शिल्पकार  समाज आज भी सरकारी सुविधाओं से वंचित है।
        
🔑 स्वयं रोजगार को बढ़ाने के लिये।
🔑आज भारत मे 3500 करोड़ का अगरबत्ती व्यवसाय है।बाँस ना मिलने और बाँस की तिलिया बनाने की मशीन महँगी होने के कारण 80% बाँस चीन और वियतनाम से मँगाया जा रहा है।

🔑 आज फर्नीचर के लिये अच्छे क्वालिटी के बॉस ना मिलने के कारन विदेश से मँगाया जा रहा है।

🔑जहाँ चीन आज हर साल 12500 करोड़ डॉलर का बाँस export कर रहा है।

🔑 वही भारत 5000 करोड़ डॉलर का import कर रहा है।

🔑 भारत मे बढ़ते life style से लोगों में handcraft की डिमांड बढ़ गई है। 1200 करोड़ डॉलर हर साल विदेश से मँगाया जा रहा है।

🔑 बाँस से निर्मित फर्नीचर टिकाऊ और सुंदर होने के कारन भी देश विदेश में बहुत माँग है।

🔑 बढ़ते कागज की मांग को देखते हुवे बॉस की कमी के कारण कहि बड़े बड़े BILT , JK,  जैसे कंपनी बंद के कगार पर आ गए है।

🔑  भारत के भू- भाग का 24.4 प्रतिशत हिस्सा वनों और पेड़ों से घिरा है। जबकि हमे कम से कम 34 % चाहिए।

🔑 बढ़ती जनसंख्या हमारे लिये आज अभिसाफ बनती जा रही है । एक तरफ जहां  इनके उद्योग factory लगाने की माँग बढ़ रही है वही Global warming के कारन अंतराष्ट्रीय स्थर पर भारत factory को बंद करने का दबाव बढ़ रहा। 

🔑 GLOBAL WARMING के कारन मौसम में बहुत बदलाव आ रहे है । जनसंख्या वृद्धि के कारन खेती की भूमि की कमी और अनाज की पूर्ति के लिये । आधुनिक खेती की शक्त आवश्यकता है । *आज सरकार POLY  House खेती* को बढ़ावा दे रही है।

🔑 किन्तु Poly House बहुत मंहगा पढ़ रहा है अगर इसे bamboo से बनाया जाए तो 10 गुणा कम कीमत में बन रहा है। यानी जहाँ 6 लाख लगना है वह 60 हजार में काम हो रहा है।


⭐ बाँस शिल्पी समाज एक कुशल कारीगर SKILL के श्रेणी में आते है। ना कि कामगार/ मजदूर UNSKILL श्रेणी में ।

⭐ और एक कुशल शिल्पकार  skill व्यक्ति स्वयरोजगर से ना सिर्फ अपना भरण पोषण करता है बल्कि औरों को भी रोजगार प्रदान करता है।
🔑 जैसा कि उपरोक्त बिन्दुओ में बताया गया कि अगर सरकार इन वंचित समाजो को जरा सा सहयोग करे तो ना सिर्फ रोजगार पैदा करेंगे बल्कि साथ ही साथ देश के धन को बचाने के साथ विदेशी आय जो भी बढाएंगे।

टिप्पणियाँ

  1. सरजी आपने एकदम सत्य कहा है मैं दिल से इसका अनुमोदन करता हूँ

    जवाब देंहटाएं
  2. *✒Some Thing From My Heart , From My Soul , From My Faith, From My Self Confidence, From My Self Observation, From My Belief*

    CAN WE SAY OR IDENTIFY OUR SELF AS A *BHARTIY* rather SHUDRA, VAISHYA, KSHATRIYA AND BHRSHMIN.

    I would like to see it happening that way. But the fact is the casteism has been there since Vedic ages and its roots are too deep to be uprooted. If the casteism is removed, then many Babas, many Mahatmas, many Acharyas, many Sankaracharyas etc will become " un employed" and there will be many Vajpais and Modis who will never rise from grass root level to become the prime ministers of India. Its very tricky, its very risky to even think of removing casteism to make all indians " Bhartiya". Its a very good dream which is never likely to turn into reality.

    BUT CAN WE DO SUCH!!!!!

    My HOPES are still Alive, My Dreams Become True to See the great People Of Great Nation. After That We can Say Proudly that *WE ARE NOT ONLY BORN BHARTIY, BUT WE ARE REAL BHARTIY*

    जवाब देंहटाएं
  3. *✒Some Thing From My Heart , From My Soul , From My Faith, From My Self Confidence, From My Self Observation, From My Belief*

    CAN WE SAY OR IDENTIFY OUR SELF AS A *BHARTIY* rather SHUDRA, VAISHYA, KSHATRIYA AND BHRSHMIN.

    I would like to see it happening that way. But the fact is the casteism has been there since Vedic ages and its roots are too deep to be uprooted. If the casteism is removed, then many Babas, many Mahatmas, many Acharyas, many Sankaracharyas etc will become " un employed" and there will be many Vajpais and Modis who will never rise from grass root level to become the prime ministers of India. Its very tricky, its very risky to even think of removing casteism to make all indians " Bhartiya". Its a very good dream which is never likely to turn into reality.

    BUT CAN WE DO SUCH!!!!!

    My HOPES are still Alive, My Dreams Become True to See the great People Of Great Nation. After That We can Say Proudly that *WE ARE NOT ONLY BORN BHARTIY, BUT WE ARE REAL BHARTIY*

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

धरकार समाज के वो सितारे जिन्हें दुनिया जानती है।

धरकार समाज एक प्राचीन व प्रतिष्ठित समाज मे से एक है।  अल्पसंख्यक होने के साथ साथ अज्ञानता के  कारण इसका इतिहास खो गया है। आइये जानते है समाज के कुछ ऐसे सितारों के बारे में जिन्हें दुनिया जानती है। 1) श्रीमती यसोदा देवी :      ✔ प्रथम महिला विधायिका उत्तर प्रदेश ।      ✔ 1950 -1967 तक 3 बार बांसगांव , गोरखपुर से विधायक रही।     ✔ समाज को उच्च शिक्षित करने में सदा प्रयासत रही। 2 )  विधायक  श्री दीनानाथ सेवक जी :     ✔ उद्योग मंत्री,     ✔ समाज कल्याण मंत्री,     ✔ भण्डारगार निगम लिमिटेड तथा उपभोक्ता सहकारी संघ लिमिटेड के अध्यक्ष,     ✔ विधान सभा एवं विधान परिषद अध्यक्ष।    3) विधायक श्री पतिराज जी :     ✔ 1991 में सरायमीर, आज़मगढ़ से विधायक रहे। 4) स्वतत्रता सैनानी बाबूलाल वर्मा :     ✔  एक महान स्वतंत्रता सैनानी जिनके नाम पर हृषिकेश में आज भी एक सड़क है। 5) स्वतंत्रता सेनानी सीतार...

धरकार समाज का इतिहास

Dharkar Caste Home The word Dharkar comes from the Hindi words “dhar” meaning rope and “kar” meaning manufacturer, denoting their occupation which was making crackers for celebration in festivals, Bamboo Baskets and field work in Agriculture. The Dharkar are found mainly in Gorakhpur ,Basti, Gonda ,lucknow, Deoria , Banras, Azamgarh, Gazipur, Balia,Mau, Allahabad Districts and other parts of India Like Bihar, MadhyaPradesh, Maharashtra, West Bangal, Gujarat  and Uttrakhand. The Dharkar speaks Hindi, Awadhi, Bhojpuri. PresentCircumstances:  Dharkar Community mostly found in Uttar Pradesh , In other State due to minority Dharkar included in other castes category . Dharkar Caste is divided in three categories 1st that only work Farm land 2nd in making of Fire Crackers use in festivals and 3rd make artwork and articles making like basket etc from Bamboo & Bet for Religious and Puja use. Bamboo article work makes other caste also but real Dharkar i...

शिक्षा का अधिकार ( निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा )

  RTE 2009 -शिक्षा का अधिकार ( निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा )        शिक्षा के बिना समाज का विकास संभव नहीं है और समाज को शिक्षित करने की जिम्मेदारी समाज की ही है।  शिक्षा  मनुष्य का एक अंग है  और इसके  बिना जीवन अधूरा है। इससे व्यक्ति का मानसिक, शारीरिक, सामाजिक , नैतिक और बौद्धिक विकास होता है।         सरकार के प्रयासों से आजादी के बाद हमारा शैक्षणिक स्तर व शिक्षा के प्रति लोगो की जागरूकता बहुत बढ़ गई है ।  जहाँ 1947 में हमारे देश की साक्षरता दर 12% थी ।  वह आज 74% पर है।  किंतु गुणवत्ता व लक्ष्य से अब भी हम बहुत दूर है।         2010-11 के एक सर्वे रिपोर्ट यह बात सामने आई कि 79% सरकारी स्कूल है 21 % प्राइवेट । दोनो के शिक्षा स्तर की बात की जाए तो जमीन आसमान का अंतर है। यही अंतर  आज हर अभिभावक को  अपने बाच्चो को प्राइवेट स्कूल में भेजना चाहता है। किंतु जिस तरह मनमानी तरीके से इसका व्यबसायिक करन तेजी से बढ़ रहा है दूसरी तरफ स्तर घट । दोनो पर लगाम लगाने , शिक्षण ग...