मीटिंग का प्रारूप
मौजूदा परीस्तिथियो को देखते हुवे जो प्रश्न मन मे उठ रहे है ।उसका उत्तर यह उचित लगता है । मानना या ना मानना यह आप निर्णय लीजिये।
प्रश्न :जब सभी संस्थाए सयुक्त रूप से "केंद्रीय टीम के लिये कार्य तो करना चाहती पर विलय" नही चाहती है। तो एकता कैसे बनेगी ?
प्रश्न :अगर हम यह कहते है सयुक्त केंद्रीय धरकार समिति के बाद भी सभी संस्थाए स्वत्रंत है। अपना अध्यक्ष , उपाध्यक्ष, अन्य पद के लिये / विस्तार के लिये। तो केंद्रीय का क्या मतलब ? वही होगा हर जिले में 5 संस्थाए और 5 जिलाध्यक्ष !
प्रश्न : कैसे पूरी होगी समाज की मांग । वह माँग जिसे पूरा समाज और सभी संस्थाए चाहती है की एक ऐसी "सशक्त केंद्रीय टीम " बने जो लोकतांत्रिक तरीके से कार्य करे ।जिसकी बात हर कोई माने / हर नीति का लाभ हर व्यक्ति तक पहुँचे ?
Important अपनी बात को आसान शब्दो मे आम जन को सरलता से समझ में आ जाए इसलिये प्रचलित नाम का सहारा लेकर बताने का प्रयास किया गया ह। ताकि उस उदाहरण से जल्द समझ मे आ जाये।
निम्नलिखित कार्यप्रणाली बनाने का एक ही मकसद है कि एक आम व्यक्ति भी अपनी योग्यता के आधार पर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक बन सकता है ऐसी प्रणाली बनाई जाए।
साथ कि एक आम व्यक्ति भी सिस्टम में रहकर जो गलत है उसे सुधार सके चाहे चुनाव के माध्यम से जिनप्रतिनिधि बन कर या न्यायपालिका ( बुद्दिजीवियों ) के पास जाकर सुधार कर सके।
एक आम स्वजाति भाई से लेकर बुद्दिजीवी भाई तक को 100% अधिकार मिले की वह इस सिस्टम में रह कर समाज सेवा कर सके गलती को सुधार सके ।
हमे अपनी केंद्रीय टीम को 4 स्तभ पर रखना चाहिए।
1) स्थाई कार्यकरणी
2) न्यायपालिका
3) विधायिका
4) मीडिया
1) ✒ स्थाई कार्यकरणी
सभी रजिस्टर संस्थाओं को केंद्रीय कार्यकारणी में एक निश्चित कोटा के तहत सीट दिया जाये।
2)✒ बुद्दिजीवियों को कार्यकरणी
एक कोटा के तहत समाज के बुद्दिजीवियों को कार्यकरणी में शामिल किया जाये।
3) ✒ विधायिका
बाकी सीटों पर पर प्रत्येक जिलो के जनता द्वारा चुने हुवे प्रतिनिधि को लिया जाए।
NOte: जो संस्थायें रजिस्टर नही है पर *समाज हीत* में सयुक्त केंद्रीय टीम में शामिल निम्नलिखित माध्यम से शामिल हो सकते है।
1) किसी भी रजिस्टर टीम के साथ गठबंधन करके।
या
2) अपने UNरजिस्टर संस्था के बुध्दीजियो को बुद्दिजीवियों कोटा के तहत दावेदारी करके।
या
3) चुनाव में अपने प्रतिनिधि खड़े करके।
______________________________________________
4 स्तभ क्यों बनाना जरूरी है ?
1 ) *स्थाई कार्यकरनी* :
🚩 _राज्य सभा के तरह कभी ना बंग होने के कारण तथा सयुक्त केंद्रीय धरकार समिति में सभी संस्थाओ के प्रतिनिधि शामिल होंगे कोई यह नही कह सकता कि मुझे इसकी जानकारी नही है।_
🚩 हर योजना में इन्हें शामिल कर चर्चा की जाएगी।
🚩 इन्हें हर मीटिंग में बुलाया जाएगा।
2) ✒ *न्यायपालिका* :
इसमे समाज के वे सम्मानित व्यक्ति होंगे । डॉक्टर, टीचर, वकील, अन्य graduate वे अपना एक अध्यक्ष चुनेंगे जो उस जिंले के *जज* होंगे ।
🚩 संस्थाओ के आपसी और लोगो के आपसी विवाद को सुलझाने में इनकी भूमिका होगी।
🚩 हर योजना में इन्हें शामिल कर चर्चा की जाएगी।
🚩 इन्हें हर मीटिंग में बुलाया जाएगा।
3) *विधयिका* :
🚩 जनता द्वारा चुना प्रतिनिधि जिसे कहि अधिकार होंगे।
हर योजना में इन्हें शामिल कर चर्चा की जाएगी।
🚩 इन्हें हर मीटिंग में बुलाया जाएगा।
🚩 कोई गलत कार्य करने पर इसे न्यायपालिका और स्थाई कार्यकरनी रोकने का कार्य करेगी।
4) मीडिया
एक आम स्वजाती भाई को कुछ गलत लगे तो उसकी बात न्यापालिका या बुद्दिजीवियों के पास अपनी बात को रख सकता है और मीडिया के माध्यम से जनजागृति कर सकता है।
सयुक्त धरकार केंद्रीय समिति मीटिंग का प्रारूप
केंद्रीय टीम के शामिल सभी संस्थाओ का कर्त्तव्य होगा कि वह केंद्रीय टीम को सशक्त बनाये।
⚜ *केंद्रीय टीम के शामिल सभी संस्थाए एक निश्चित रकम हर साल केंद्रीय कोष में जमा करें*।
⚜ फण्ड के लिय *समाज से एक सामर्थ अनुसार फीस ली जाए।*
⚜ _उस फीस को केंद्रीय टीम के शामिल सभी टीमो का एक ही बैंक एकाउंट जमा करवाना।_
(जिस तरह GST के टैक्स 50% केंद्र CGST और 50 % राज्य SGST को लेकर अपने अपने क्षेत्र के विकास में कार्य करती है।)
_हमे भी उसी तर्ज पर करना चाहिए_
⚜ _एक एक जिंले मे 5 -5 जिलाध्यक्ष ना बने और जो चुना भी जाये वह जानता द्वारा चुना जाए इसके लिये_।
_हमे यह करना चाहिए कोई भी संस्था किसी भी जिंले में कोई भी जिलाध्यक्ष नही चुन सकती है। लेकिन हां वह अपना प्रतिनिधि चुनाव में खड़ा कर सकती है।_
_ताकि जिंले से 1ही सांसद यानी *1 ही समाज द्वारा जिलाध्यक्ष चुना जाये*।_
केंद्रीय समिति को लेकर कुछ महत्वपूर्ण जानकारी
सयुक्त धरकार महासंघ
समाज के चुनावी प्रक्रिया व कार्यप्रणाली
सयुक्त केंद्रीय धरकार समिति प्रारूपमौजूदा परीस्तिथियो को देखते हुवे जो प्रश्न मन मे उठ रहे है ।उसका उत्तर यह उचित लगता है । मानना या ना मानना यह आप निर्णय लीजिये।
प्रश्न :जब सभी संस्थाए सयुक्त रूप से "केंद्रीय टीम के लिये कार्य तो करना चाहती पर विलय" नही चाहती है। तो एकता कैसे बनेगी ?
प्रश्न :अगर हम यह कहते है सयुक्त केंद्रीय धरकार समिति के बाद भी सभी संस्थाए स्वत्रंत है। अपना अध्यक्ष , उपाध्यक्ष, अन्य पद के लिये / विस्तार के लिये। तो केंद्रीय का क्या मतलब ? वही होगा हर जिले में 5 संस्थाए और 5 जिलाध्यक्ष !
प्रश्न : कैसे पूरी होगी समाज की मांग । वह माँग जिसे पूरा समाज और सभी संस्थाए चाहती है की एक ऐसी "सशक्त केंद्रीय टीम " बने जो लोकतांत्रिक तरीके से कार्य करे ।जिसकी बात हर कोई माने / हर नीति का लाभ हर व्यक्ति तक पहुँचे ?
Important अपनी बात को आसान शब्दो मे आम जन को सरलता से समझ में आ जाए इसलिये प्रचलित नाम का सहारा लेकर बताने का प्रयास किया गया ह। ताकि उस उदाहरण से जल्द समझ मे आ जाये।
निम्नलिखित कार्यप्रणाली बनाने का एक ही मकसद है कि एक आम व्यक्ति भी अपनी योग्यता के आधार पर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक बन सकता है ऐसी प्रणाली बनाई जाए।
साथ कि एक आम व्यक्ति भी सिस्टम में रहकर जो गलत है उसे सुधार सके चाहे चुनाव के माध्यम से जिनप्रतिनिधि बन कर या न्यायपालिका ( बुद्दिजीवियों ) के पास जाकर सुधार कर सके।
एक आम स्वजाति भाई से लेकर बुद्दिजीवी भाई तक को 100% अधिकार मिले की वह इस सिस्टम में रह कर समाज सेवा कर सके गलती को सुधार सके ।
हमे अपनी केंद्रीय टीम को 4 स्तभ पर रखना चाहिए।
1) स्थाई कार्यकरणी
2) न्यायपालिका
3) विधायिका
4) मीडिया
1) ✒ स्थाई कार्यकरणी
सभी रजिस्टर संस्थाओं को केंद्रीय कार्यकारणी में एक निश्चित कोटा के तहत सीट दिया जाये।
2)✒ बुद्दिजीवियों को कार्यकरणी
एक कोटा के तहत समाज के बुद्दिजीवियों को कार्यकरणी में शामिल किया जाये।
3) ✒ विधायिका
बाकी सीटों पर पर प्रत्येक जिलो के जनता द्वारा चुने हुवे प्रतिनिधि को लिया जाए।
NOte: जो संस्थायें रजिस्टर नही है पर *समाज हीत* में सयुक्त केंद्रीय टीम में शामिल निम्नलिखित माध्यम से शामिल हो सकते है।
1) किसी भी रजिस्टर टीम के साथ गठबंधन करके।
या
2) अपने UNरजिस्टर संस्था के बुध्दीजियो को बुद्दिजीवियों कोटा के तहत दावेदारी करके।
या
3) चुनाव में अपने प्रतिनिधि खड़े करके।
______________________________________________
4 स्तभ क्यों बनाना जरूरी है ?
1 ) *स्थाई कार्यकरनी* :
🚩 _राज्य सभा के तरह कभी ना बंग होने के कारण तथा सयुक्त केंद्रीय धरकार समिति में सभी संस्थाओ के प्रतिनिधि शामिल होंगे कोई यह नही कह सकता कि मुझे इसकी जानकारी नही है।_
🚩 हर योजना में इन्हें शामिल कर चर्चा की जाएगी।
🚩 इन्हें हर मीटिंग में बुलाया जाएगा।
2) ✒ *न्यायपालिका* :
इसमे समाज के वे सम्मानित व्यक्ति होंगे । डॉक्टर, टीचर, वकील, अन्य graduate वे अपना एक अध्यक्ष चुनेंगे जो उस जिंले के *जज* होंगे ।
🚩 संस्थाओ के आपसी और लोगो के आपसी विवाद को सुलझाने में इनकी भूमिका होगी।
🚩 हर योजना में इन्हें शामिल कर चर्चा की जाएगी।
🚩 इन्हें हर मीटिंग में बुलाया जाएगा।
3) *विधयिका* :
🚩 जनता द्वारा चुना प्रतिनिधि जिसे कहि अधिकार होंगे।
हर योजना में इन्हें शामिल कर चर्चा की जाएगी।
🚩 इन्हें हर मीटिंग में बुलाया जाएगा।
🚩 कोई गलत कार्य करने पर इसे न्यायपालिका और स्थाई कार्यकरनी रोकने का कार्य करेगी।
4) मीडिया
एक आम स्वजाती भाई को कुछ गलत लगे तो उसकी बात न्यापालिका या बुद्दिजीवियों के पास अपनी बात को रख सकता है और मीडिया के माध्यम से जनजागृति कर सकता है।
सयुक्त धरकार केंद्रीय समिति मीटिंग का प्रारूप
केंद्रीय टीम के शामिल सभी संस्थाओ का कर्त्तव्य होगा कि वह केंद्रीय टीम को सशक्त बनाये।
⚜ *केंद्रीय टीम के शामिल सभी संस्थाए एक निश्चित रकम हर साल केंद्रीय कोष में जमा करें*।
⚜ फण्ड के लिय *समाज से एक सामर्थ अनुसार फीस ली जाए।*
⚜ _उस फीस को केंद्रीय टीम के शामिल सभी टीमो का एक ही बैंक एकाउंट जमा करवाना।_
(जिस तरह GST के टैक्स 50% केंद्र CGST और 50 % राज्य SGST को लेकर अपने अपने क्षेत्र के विकास में कार्य करती है।)
_हमे भी उसी तर्ज पर करना चाहिए_
⚜ _एक एक जिंले मे 5 -5 जिलाध्यक्ष ना बने और जो चुना भी जाये वह जानता द्वारा चुना जाए इसके लिये_।
_हमे यह करना चाहिए कोई भी संस्था किसी भी जिंले में कोई भी जिलाध्यक्ष नही चुन सकती है। लेकिन हां वह अपना प्रतिनिधि चुनाव में खड़ा कर सकती है।_
_ताकि जिंले से 1ही सांसद यानी *1 ही समाज द्वारा जिलाध्यक्ष चुना जाये*।_
केंद्रीय समिति को लेकर कुछ महत्वपूर्ण जानकारी
good
जवाब देंहटाएंVery appriciate work done by Vivek ji..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर कार्य मा, विवेक जी द्वारा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद धरिया सर, लालबहादुर जी व देवानंद जी
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