बेटियों के ऊपर पारिवारिक जीवन में बहोत बड़ी जिम्मेदारी होती है उस जिम्मेदारी को सही से निर्वाह करने के लिए बेटीयों को पहले उसे उस काबिल बनाये ।
समाज में यह खूब देखने को मिल रहा है की बेटियों को पढ़ा -लिखा कर किसी बड़ी जिम्मेदारी लेने के काबिल नहीं बनाते है और शादी करके बड़ी जिम्मेदारी लेने के लिए ससुराल भेज देते है आखिर किस उम्मीद से!!
मेरा मानना है पारिवारिक जीवन के विफलता का प्रमुख कारण यही रहा है !!
हम ऐसे समाज में रह रहे है जहा हर मोड़ पर बेटियों बहनों को तिरस्कृत और हेय दृष्टि से देखा जाता है!!
जबकि आज के परिवेश में लड़किया किसी लड़के से कम नहीं है अगर उन्हें पूर्ण विस्वाश के साथ कुछ करने का मौका दिया जाये तो मुश्किल से मुश्किल काम को चुनौती पूर्वक आसानी से कर लेती है !!
जबकि लड़के पूर्ण आजादी मिलने के बाद भी आत्मविस्वाश के साथ नहीं कर पाते है !!
मैं आप लोगो से अपिल करती हूँ कि बेटियों को काबिल बनाये जिस दिन बेटियाँ काबिल बन गयी तो घर व् अपने परिवार में नई रोशनी देंगी !!
बेटियों को बिना शिक्षा दिए घर परिवार समाज को कभी नहीं सुधारा जा सकता !!..
पढ़ेगी बेटी तो आगे बढ़ेगी बेटी और बेटियों से समाज बदलेगा!!
इस समाज व् देश में बेटी होने पर मातम मनाया जाता है।
लड़की पैदा होते ही परिवारों में उनकी पढ़ाई से ज्यादा उनके विवाह में देने के लिए दहेज की टेंशन होने लगती है।
लड़के के लिए नियम उनके सहूलियतों के हिसाब से बनाए गए हैं और लड़कियों के लिए तंग दायरे निर्धारित हैं, जिनमें वे मुश्किल से सांस ले पाती है। समाज की इस सोच सेइतर ऐसी सोच भी है जिससे शायद रूढ़ीवादी सोच पर चोट हुई है!
बदलाव की किरणें दिखाई दे रही हैं लेकिन इन किरणों से रोशनी होने में शायद थोड़ा और वक्त लग जाए। समाज के कुछ लोगों का विश्वास है कि आज नहीं तो आने वाले कुछ सालों में ही सही लेकिन महिलाओं के लिए स्थिति बेहतर होगी।
हमने कुछ ऐसे परिवारों को देखा है जिनके घर में बेटे की चाह में तीन से ज्यादा बेटियों का जन्म हुआ। बेटियों के जन्म ने कम से कम उन परिवारों का नजरिया बदला जहां पहले रुढ़ीवादी सोच का बसेरा था।
आज समाज की तमाम बहने माधुरी वर्मा रेखा जी सीमा धारिया शशी धारिया किरन कटारे मंजू वर्मा अनीता धनुवंशी सपना जी पूजा वर्मा जी संजू वर्मा जी रोशनी जी कोमल जी पुनम जी आदि के माता-पिता ने इनका मोल समझा और इन्हें इस काबिल बनाया कि समाज में एक नई जागरुकता पैदा की
कम-से-कम समाज के लोगों इन बहनों के प्रति नजरिया जरूर बदलें!
सधन्यवाद !
सौ. सुमन कमल समाज सेविका
पुरानी सीमापूरी दिल्ली