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युवा वर्ग में छिपी है समाज की एकता और विकास की कुंजी ।

युवा वर्ग में छिपी है समाज की एकता और विकास की कुंजी ।

       युवा और विकास एक-दूसरे के पूरक हैं। युवा आज और कल का नेता है। वह  वर्तमान भी है और भविष्य भी हैं। समाज का 35% आबादी युवा है जो 18 -35 साल की है।
     
      आज सोशल मीडिया ने इस  वर्ग को और सशक्त बना दिया है।  विचारो का आदान-प्रदान और एक दूसरे की मदद करने मे आगे आ रहे है।

     
     




समाज के चर्चित युवा
     
1 ) प्रदीप वर्मा , कोरांव इलाहाबाद: सेवक के तौर पर  सबसे ज्यादा चर्चित चेहरा है प्रदीप वर्मा ।। सरल स्वभाव के प्रदीप जी युवाओं को जमीन स्तर पर   जोड़ने   औऱ  अन्याय के खिलाफ डटे रहने वाले सक्रिय युवा  है।

       
2) एडवोकेट माधुरी वर्मा , वाराणसी : न्याय दिलाने और अन्याय के खिलाफ खड़े रहने वालो में माधुरी जी का नाम आगे की पंक्ति में रहा है । समाज मे कही भी किसी भी तरह का अन्याय हो तो सबसे पहले पहुँचने वालो में एडवोकेट माधुरी वर्मा जी का नाम सबसे पहले आता है।

       
3) ईश्वरचंद प्रियदर्शी : युवा ईश्वरचंद्र दलित-बहुजन की आवाज़ और उम्मीद बनकर उभरे रहे है । हक़ की लड़ाई के लिए समय -समय पर सड़को पर धरना प्रदर्शन और प्रशासन से माँग करते रहते है।


   
  4) कमल कुमार , दिल्ली : समाज को आत्मनिर्भर बनाने के लिये NGO के माध्यम से हमेशा कार्य करते रहते है बच्चो को निशुल्क कोचिंग महिलाओं के लिये शिलाई -कढाई आदी का प्रशिक्षण केंद्र चला रहे है ।


     
5) चंदन वर्मा , मिर्जापुर : गाँव - गाँव जाकर महिलाएं ,पुरुषों  और बच्चो को जागरूक करते है उन्हें सरकार की तमाम योजनाओं के बारे में विस्तार से बता कर उसे दिलाने में हर संभव मदत करते है।

     
6) सविता धरकार , जबलपुर : गाँव गाँव जाकर महिलावो को जागरूक कर रही है। बच्चो को शिक्षा के  महत्व  को बता रही है । प्रौढ़   शिक्षा, सफाई, स्वास्थ , सरकारी , गैर- सरकारी इत्यादि योजनाओं के बारे में  ना सिर्फ जागरूकता ला रही है बल्कि उन्हें दिला भी रही है।

       युवा वर्ग सम्मान एवं सहभागिता चाहता है।समय आ गया है कि युवा शक्ति को सकारात्मक दिशा देने का और सुअवसर प्रदान करने का।


_अकेले हम बूँद हैं,
          मिल जाएं तो सागर हैं।
अकेले हम धागा हैं,
          मिल जाएं तो चादर हैं।
अकेले हम कागज हैं,
          मिल जाए तो किताब हैं।
अकेले हम अलफ़ाज़ हैं,
          मिल जाए तो सुंदर रचना हैं।
अकेले हम ईंट पत्थर हैं,
          मिल जाएं तो इमारत हैं।
अकेले हम दुआ हैं,
          मिल जाएं तो इबादत हैं।

जीवन का आनन्द मिलजुल कर रहने में है…✍🏼          


    




       
                                                         विवेक कारूष

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