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शिक्षा का अधिकार ( निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा )

 
RTE 2009 -शिक्षा का अधिकार ( निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा )


      शिक्षा के बिना समाज का विकास संभव नहीं है और समाज को शिक्षित करने की जिम्मेदारी समाज की ही है। शिक्षा मनुष्य का एक अंग है  और इसके  बिना जीवन अधूरा है। इससे व्यक्ति का मानसिक, शारीरिक, सामाजिक , नैतिक और बौद्धिक विकास होता है।


        सरकार के प्रयासों से आजादी के बाद हमारा शैक्षणिक स्तर व शिक्षा के प्रति लोगो की जागरूकता बहुत बढ़ गई है ।  जहाँ 1947 में हमारे देश की साक्षरता दर 12% थी वह आज 74% पर है। किंतु गुणवत्ता व लक्ष्य से अब भी हम बहुत दूर है।

        2010-11 के एक सर्वे रिपोर्ट यह बात सामने आई कि 79% सरकारी स्कूल है 21 % प्राइवेट । दोनो के शिक्षा स्तर की बात की जाए तो जमीन आसमान का अंतर है। यही अंतर  आज हर अभिभावक को  अपने बाच्चो को प्राइवेट स्कूल में भेजना चाहता है। किंतु जिस तरह मनमानी तरीके से इसका व्यबसायिक करन तेजी से बढ़ रहा है दूसरी तरफ स्तर घट । दोनो पर लगाम लगाने , शिक्षण गुणवत्ता को बेहतर और सबके पहुँच में हो । इसके लिये 2009 में एक अधिनियम बनाया गया   निशुल्क और अनिवार्य "शिक्षा का अधिकार" RTE 2009.


       1947 में ही शिक्षा अधिकार को क्रियान्वित करने हेतु संविधान ने 10 वर्ष का समय दिया था। जिसे उच्च न्यायालय ने 1993 में एक क्रांतिकारी फैसले से सरकार को जगाया । न्यायालय ने कहा संविधान में "जीवन के अधिकार" का अर्थ तो तभी है जब हर व्यक्ति को शिक्षा का अधिकार मिले।

      देश मे 6 से 14 वर्ष के प्रत्येक बच्चे को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के लिये शिक्षा अधिनियम 2009 बनाया गया है।




शिक्षा अधिकार : मुफ्त दाखिले की प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है और यह ऑनलाइन होंगी ।

   

क्या है शिक्षा का अधिकार ?

     1) संविधान (छियासीवां संशोधन) अधिनियम, 2002 , छह से चौदह वर्ष के आयु समूह में सभी बच्‍चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का मौलिक अधिकार का प्रावधान करता है। अब बच्चों को शिक्षित करने की जिम्मेदारी पालक के साथ सरकार की भी है।


  RTE -2009 की मुख्य विशेषताये।

     1) भारत मे 6 से 14 वर्ष के सभी  बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देना।


   2)  सरकारी  स्कूल सभी बच्चों को मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराएंगे।

  3) प्राथमिक शिक्षा पूरी होने से पहले किसी बच्चे को फेल नही किया जाएगा।

    4) ऐसे बच्चें जिनकी उम्र 6 साल से ज्यादा है औऱ वे किसी भी स्कूल में नही जा रहे है उन बाच्चो को विशेष ट्रेनिंग देकर उम्र के लायक उचित कक्षा में प्रवेश दिया जाएगा। ऐसे बच्चों को 14 साल पूरी होने के बाद भी प्राथमिक शिक्षा दी जाएगी।

  5) निजी स्कूल में  कक्षा 1 में प्रवेश दाखिला के लिये आर्थिक रूप से कमजोर , SC, ST, ओबीसी  वर्ग के लिये न्यूनतम 25% बिना शुल्क लिए बच्चों को दाखिला देंगे। जिसके लिये उम्र सीमा 7 साल से कम होनी चाहिए।

  6) निजी स्कूल में  बच्चे की उम्र 4 साल से कम है तो KG I के निशुल्क दाखिला ले सकते है ।

7) प्रत्येक बच्चों को उसके निवास क्षेत्र से  1 KM भीतर सभी सरकारी और निजी स्कूल में पढ़ने का पूर्ण अधिकार है। निर्धारित दूरी पर कोई स्कूल ना होने की स्तिथि में आने के लिये छात्रवास या वाहन की व्यवस्था की जाएगी।

8) विकलांग बच्चें को भी  हर स्कूल में नियमित पढने का अधिकार है।

9) किसी भी बच्चों को कागजो की कमी के कारण स्कूल जाने से नही रोका जा सकता है। और ना ही दाखिला पूर्ण होने के बाद भी ।

10) स्कूलों में लड़कों और लड़कियों के लिये अलग से सौचालय की व्यवस्था करना  जरूरी है।

11) दाखिले के लिये किसी भी बच्चें और अभिभावकों  का साक्षात्कार नही लिया जाएगा । 

 12) किसी भी बच्चों को मानसिक और शारिरिक दंड नही दिया जाएगा।

13) किसी भी तरफ में शिकायत निवारण के लिये पंचायत, तहसील पंचायत, या जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी की देख रेख में होगा।


कोई ना छूटे अबकी बार ,शिक्षा पर है सबका अधिकार ।




RTE के तहत दाखिला कैसे ले ?

  1) सरकारी स्कूलों में दाखिला सीधा स्कूल में जाकर किया जा सकता है।
 2)निजी स्कूल में दाखिले कि प्रक्रिया ऑनलाइन होती हैं।
 3) यह kg । के लिये 4 साल और पहली के लिये 7 साल से कम उम्र होनी चाहिए।
4)SC/ST/OBC या आर्थिक रूप में कमजोर वर्ग का होना चाहिए।
 4) सालाना आय 1 लाख से कम का प्रमाण पत्र। ( उम्मीद है शायद इस साल से आय की लिमिट हट जाएगी)
 5) birth cerificate
 6) 2 फोटो बच्चे का
7 ) पिता  / गार्डियन का आधार कार्ड


8) बच्चे का आधार कार्ड

टिप्पणियाँ

  1. देश की दशा दिशा में सुधार तभी संभव है। देश में एक समाज शिक्षण संस्थान और शिक्षा व्यवस्था हो ।

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  2. अपने बच्चो को फ्री में प्राइवेट स्कूल में पढ़ाये,
    अपने बच्चो को बेहतर शिक्षा देना ही हमारी जिम्मेदारी है

    जवाब देंहटाएं

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