एक संदेश : अपने समाज के नाम नमस्कार स्वजाति बंधुओ , आप सोचिएगा,,,,,, क्या हम जमाने के साथ चल रहे है ? संकल्प में सामर्थ हो और हौसला बुलंद हो तो मंजिल मिल ही जाती है। इतिहास हमे क्या सिर्फ कोशना ही सिखाते है। या उससे सिख कर आगे बढ़ना । 2019 की शुरुवात हो गई है,बात हमारे समाज की करे तो हम एक औसत भारतीय से 25 साल पीछे चल रहे है। विवेक कारूष जो साक्षरता दर भारत की 1993 में थी वह 2018 में हमारी है। शिक्षा ही वह पैमाना है जो मानव जीवन का मानसिक, शारीरिक, सामाजिक , नैतिक और बौद्धिक विकास को माफता है। ।। ...
शिक्षा, विकास, समर्पण